1773 में स्थापित राष्ट्रपति अंगरक्षक भारतीय सेना की सबसे वरिष्ठतम रेजीमेंट है। यह घुड़सवार यूनिट राष्ट्रपति के समारोहिक कार्य करती है। इसके अधिकारी और जवान श्रेष्ठ घुड़सवार, सक्षम टैंककर्मी और छाताधारी सैनिक हैं।
‘चेंज ऑफ गार्ड’ एक बहुत पुरानी सैन्य परंपरा है जिसकी मौलिकता प्राचीन काल में विलीन हो गई। प्राचीन काल से ही, महलों, किलों और रक्षा प्रतिष्ठानों में गार्ड और संतरी नए सैन्य दस्तों की तैनाती के लिए समय-समय पर बदलते रहते हैं। राष्ट्रपति भवन में, समरोहिक सेना गारद बटालियन भारत के राष्ट्रपति के लिए समारोहिक गार्ड और संतरी उपलब्ध करवाने के लिए जिम्मेदार है।
राष्ट्रपति भवन में ‘चेंज ऑफ गार्ड’ समारोह पहली बार 2007 में जनता के लिए खोला गया। समारोह को और दर्शनीय व जन अनुकूल बनाने के लिए बेहतर और व्यवस्थित किया गया है। इसमें समारोहिक राजचिह्नों में राष्ट्रपति के अंगरक्षकों द्वारा एक अश्वारोहण प्रदर्शन जोड़ा गया है और जनता के आगमन की बेहतर सुविधा के साथ इसे राष्ट्रपति भवन के अग्र प्रांगण में स्थानांतरित किया गया है। अश्वारोही प्रदर्शन में सैन्य ब्रास बैंड के संगीत की लय के साथ समारोहिक राजचिह्नों से युक्त अश्व और सैनिक शामिल हैं। 30 मिनट के समारोह की शुरुआत, राष्ट्रपति अंगरक्षक दल के, अपने सुसज्जित, पुष्ट, मजबूत और सुन्दर ढंग से सजे-धजे घोड़ों पर सवार होकर ‘मां तुझे सलाम’ की धुन पर सेना के ब्रास बैंड पर जयपुर स्तंभ के पीछे की ओर से प्रस्थान से होती है। तब आर्मी गार्ड की टुकड़ी आगे बढ़ती है और नए गार्ड पुराने गार्ड का स्थान लेते हैं। दिन का यह समारोह, राष्ट्रपति अंगरक्षक द्वारा वापस राष्ट्रपति भवन लौटने से पहले घुड़सवारी प्रदर्शन तथा राष्ट्रगान के साथ सम्पन्न होता है। यह ‘चेंज ऑफ गार्ड’ समारोह प्रत्येक शनिवार जनता के लिए खुला रहता है। राष्ट्रपति भवन के प्रवेश द्वार (गेट नं. 2) पर फोटो पहचान पत्र आवश्यक है।